Kal Ki Chinta Gyanbhari Kahani - कल की चिंता शिक्षा भरी कहानी 


एक व्यापारी का अच्छा व्यवसाय चलता था , उसके पास खूब पैसा था ।


एक रात उसे बहुत बचैनी हुई , सेठ की पत्नी ने जब अपने पति को देखा तो पूछा क्या बात है जी ? किस चिंता में डूबे हुए हो ?

पहले तो सेठ ने आनाकानी की पर पत्नी ने जब जोर देकर पूछा तो सेठ जी बोले


कि एक दिन मेरे मन में आया कि यदि सारा काम धंधा बंद हो जाए तो अपनी स्थिति क्या रहेगी ? अपने परिवार का क्या होगा ?
 
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तब मैंने सब हिसाब लगाकर देख लिया कि अगर आज भी मेरा व्यापार बंद हो जाए तो नौ पीढ़ी को खाने पीने में दिक्कत नही आएगी परंतु इसके बाद कुछ नहीं रहेगा, तब 10 वी पीढ़ी के बच्चे क्या खाएंगे

उन बिचारो का क्या होगा - यही सोचकर मैं चिंतित हो गया हूं , मुझे यही दुःख सताया जा रहा है । पत्नी बुद्धिमती थी वो सांत्वना देते हुए सेठ जी से बोली - ठीक है अभी चिंता मत करो कल एक सन्त के पास चलेंगे उनसे अपनी समस्या का हल पूछ लेंगे, आप आज आराम से सो जाईये ।


पत्नी ने उन्हें किसी तरह सुला दिया।

अगले दिन वे उस संत के आश्रम की तरफ जाने लगे । पत्नी ने गाड़ी में बहुत सारा अन्न, फल और मिठाईयाँ रखा जी थी । सेठ ने जब इसका विरोध किया तो पत्नी ने कहा कि रोज तो जाना नहीं है ,बस आज ही ले चलना है । व्यापारी मान गया ।


दोनों आश्रम पहुच गये और संत के सामने सारा सामान रख दिया । संत ने उन्हें रोका और अपने शिष्य से पूछा की देख रसोई में कितना अनाज शेष है ।


शिष्य ने पूछ कर बताया कि आज रात के भोजन के लिए पर्याप्त है । कल सुबह के लिए नहीं है तब संत ने कहा- हम तुम्हारी भेंट स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि इसकी अभी कोई आवश्यकता नहीं है, पत्नी के विशेष आग्रह करने पर संत ने कहा कि कल की चिंता भगवान करेंगे ।

हां, यदि आज के लिए सामान नहीं होता तो मैं रख लेता ।

पत्नी से व्यापारी पति बोला - चलो अब चलते हैं । रास्ते में पत्नी ने अपने पति से पूछा कि आपने अपनी समस्या का समाधान क्यों नही पहुचा । व्यापारी ने कहा अब उसकी जरूरत नहीं मुझे उसका समाधान मिल गया है।

संत को कल की चिंता नहीं और मुझे नौ पीढ़ी के आगे की चिंता हो रही है - अज्ञानता के कारण और प्रभु पर विश्वास नहीं होने पर ही ऐसा होता है।

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