मौन का महत्व हिंदी कहानी - Maun Ka Mahtav Hindi Moral Story 

एक राजा के घर एक राजकुमार ने जन्म लिया पर वो राजकुमार बचपन से ही कम बोलते थे। बड़ा होने पर भी वह अपनी उसी आदत के साथ मौन ही रहता था । राजा इस बात से बहुत चिंतित थे । राजा ने इस विषय में कई ज्योतिषियों, साधु-महात्माओं एवं चिकित्सकों को उन्हें दिखाया परन्तु कोई हल नहीं निकला। संतो ने बताया कि हो सकता है कि यह अपने पिछले जन्म में कोई साधू थे इसलिए उन्ही संस्कारो के कारण वे इस जन्म में भी कम बोलते है । हलाकि राजा ऐसी बातों से संतुष्ट नहीं हुए।

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एक दिन राजकुमार को राजा के मंत्री बगीचे में टहला रहे थे। उसी समय एक कौवा पेड़ कि डाल पे बैठ कर काव - काव करने लगा । मंत्री ने सोचा कि कौवे कि आवाज से राजकुमार परेशान होंगे इसलिए मंत्री ने कौवे को तीर से मार गिराया । फिर वो कौवा जमीन पर गिर गया। तब राजकुमार कौवे के पास जा कर बोले कि यदि तुम नहीं बोले होते तो नहीं मारे जाते। इतना सुन कर मंत्री बड़ा खुश हुआ कि राजकुमार आज बोले हैं और तत्काल ही राजा के पास ये खबर पहुंचा दी। राजा भी बहुत खुश हुआ और मंत्री को खूब ढेर - सारा उपहार दिया।



कई दिन बीत जाने के बाद भी राजकुमार चुप ही रहते थे। राजा को मंत्री कि बात पे संदेह हो गया और गुस्सा कर राजा ने मंत्री को फांसी पे लटकाने का हुक्म दिया। इतना सुन कर मंत्री दौड़ते हुए राज कुमार के पास आया और कहा कि उस दिन तो आप बोले थे परन्तु अब नहीं बोलते हैं। मैं तो कुछ देर में राजा के हुक्म से फांसी पे लटका दिया जाऊंगा ।


मंत्री कि बात सुन कर राजकुमार बोले देखा दोस्त , यदि तुम भी नहीं बोले होते तो आज तुम्हे भी फांसी की सजा नहीं मिलती । इस संसार में बोलना ही बंधन है। जब भी बोलो सोच समझ कर बोलो नही तो मौन रहो । जीवन में बहुत से विवाद का मुख्य कारण अत्यधिक बोलना ही है । एक चुप्पी हजारो कलह का नाश करती है और एक बोली की कीमत जान के बराबर होती है ।

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