विधवा माँ और कपूत बेटा - दर्द भरी कहानी
एक गाँव में एक परिवार खुशी से अपना जीवन यापन कर रहा था। उस परिवार में केवल पति पत्नी थे। समय बीतता गया पर उनके कोई औलाद नही हुई । अब धीरे-धीरे समय चक्र बदला और उस खिलखिलाते हुए परिवार को न जाने किसकी नजर लगी की एक दिन उस महिला का पति एक ऐसी बीमारी से ग्रस्त हुआ कि बिस्तर पर लेटने के बाद फिर कभी उठने कि सामर्थ खो बैठा।
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अब वह महिला अपने पति को बीमारी से बचाने के लिए शहर – शहर दौड़ती भागती फिरने
लगी। जब सब जगह से निराशा हाथ मिली तो वह अपने मन में हताश होकर अपने पति को घर ले आई पर घर लाने के
बाद पति की हालत धीरे धीरे और बिगड़ती गई । इसी दौरान उसे
पता चला कि वह पेट से है।
यह बात जब उसने अपने पति को बताई तो इस पर पति ने कहा कि अब उसके दिल पर बोझ नही रहेगा ,अब अगर मै मर भी गया तो तुम्हारी ज़िंदगी का सहारा जन्म लेकर तुम्हारे बुढापे की लाठी बनकर तुम्हारा जीवन निर्वाह करेगा और यह सब कहते – कहते पति ने अपने प्राणो को त्याग दिया।
पत्नी ने अपने पति का अंतिम संस्कार किया । परन्तु वह मन में बहुत दुखी थी, लेकिन यह कह कर वो अपने मन को समझा लेती कि उसकी कोख मे पल रहा नन्हा सा बच्चा उसके पति का प्यार, एक दिन इस दुनिया मे जन्म लेकर आएगा और उसकी तन्हाई दूर करेगा ।
अब धीरे धीरे समय बीतता गया और बच्चे के जन्म का समय आया , तब उस माँ ने एक पुत्र को जन्म दिया। माँ अब उसी पर पूर्ण रूप से आश्रित होकर उसका पालन पोषण करती। धीरे धीरे अब उसका पुत्र 5 वर्ष का हो गया तो माँ ने अपने पुत्र को एक स्कूल मे पढ़ने के लिए भेज दिया।
वह माँ अपने पुत्र से बहुत प्यार करती और मेहनत से पैसे कमा कर उसकी हर मांग पूरी करती। धीरे धीरे बेटा बड़ा हुआ और माँ ने उच्च शिक्षा के लिए शहर मे उसे पढने के लिए भेज दिया। बेटा भी मन लगाके पढने लगा।
माँ और बेटे दोनों की मेहनत रंग लाई और वह एक दिन बड़ा अधिकारी बन गया , माँ को जब यह पता चला तो वह बहुत ही प्रसन्न हुई कि उसके जीवन का सारा कष्ट अब उसका बेटा हर लेगा । बेटा अपनी नौकरी करने लगा। और उसकी माँ गाँव मै अकेली उसकी राह देखने लगी। धीरे धीरे समय बीता नौकरी मै ज्यादा वक्त देने कि वजह से पुत्र का अपनी माँ के प्रति मोह भी कम हो गया।
और उसे वहीं किसी लड़की से प्यार हो गया जब लड़की को उसने अपने माँ के बारे में बताया तो वह बोली कि ये सब वह अपनी माँ को बताएगा तो वह हमारी शादी के लिए तैयार नहीं होगी।
इसलिए अपनी माँ को बिना बताए शादी कर लो और लड़की ने अपने माँ बाप से मिलवाकर शादी कर ली। अब वह बेटा पत्नी के मोह में ऐसा फंसा कि अपनी माँ के सारे कष्टो को भूल गया। वो भूल गया कि तपस्या की मूरत उसकी माँ उसकी राह देख रही है ।
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उसकी माँ को जब यह बात पता चली तो उसे बड़ा कष्ट हुआ लेकिन वह यह सोचकर अपने मन को समझा लेती कि एक न एक दिन उसका बेटा जरूर आयेगा। समय बीतता गया ,और माँ भी अब वृद्ध हो चली थी। गाव के लोग भी अब उसे बोलने लगे कि उसका बेटा अब कभी नहीं आयेगा। उस कपूत की आस करना बंद कर दे ।
लेकिन उस माँ के अंतर मन में कही यह आस जगी हुई थी कि उसका बेटा एक दिन जरूर आएगा। उधर बेटा पत्नी के प्यार में फंस कर माँ को पूरी तरह भूल चुका था, इधर धीरे – धीरे माँ भी इतनी वृद्ध हो गई की माँ को चलने -फिरने में परेशानी होने लगी। तब उसने एक दिन गांव के लोगों को बुला कर एक पत्र लिखवाया।
और अपनी अलमारी में उसे सुरक्षित स्थान पर रख दिया और गांव के लोगों से बोल दिया कि जब उसका बेटा आए तो ये पत्र उसे दे देना, और वृद्ध माँ एक दिन अपने पुत्र की याद में गुजर गई।
इधर एक दिन उसके बेटे और उसकी पत्नी में किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। और उसकी पत्नी उसे हमेशा – हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई। बेटा अकेला पड़ गया , अब बेटे को अपनी माँ कि याद आई और वह एक दिन गांव आया।
गांव आकर पता चला की उसकी माँ अब इस दुनिया मे नहीं रही । लोगो ने भी उसे बहुत भला – बुरा कहा कि तेरी माँ तुझे याद करते करते मर गई। बिचारी को ना पति का साथ मिला ना ही बेटे का । तेरे नाम एक पत्र छोड़ गई है । बेटे ने अब पत्र को खोलकर देखा तो उस पत्र मै माँ का वो दर्द भरा जीवन का पूरा कष्ट लिखा था ।
और अंत मै लिखा था की बेटा मेरे आने से तेरे ग्रहष्थ जीवन मै कोई भी रुकावट आती है तो पूरे जीवन पर्यंत मै तुझसे अलग रहूगी।
अब बेटे को माँ के प्यार का अहसास हुआ और अपनी गलती का पश्चाताप किया। तो दोस्तों एक माँ का प्यार ही निस्वार्थ प्यार होता है और बाकि सब के प्यार में कही
ना कहै स्वार्थ छिपा रहता है।
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