नाव का छेद करोडो का हिंदी कहानी - Naav Ka Chhed Hindi Story
एक अमीर आदमी ने एक बार एक पेंटर को अपने घर बुलाया और अपनी नाव दिखाकर कहा कि इसको पेंट कर दो।
पेंटर ने पेंट ले कर उस नाव को पेंट कर दिया जैसा रंग मालिक ने बताया था और अपने घर चला गया ।अगले दिन, पेंटर के घर पर वह नाव का मालिक पहुँचा और उसने एक 5 करोड़ की धनराशि का चेक उस पेंटर को दिया ।
पेंटर भौंचक्का हो गया, और पूछा, "ये इतने पैसे किस बात के हैं ?
मेरे पैसे तो सिर्फ 100 रुपए ही हुए है ।
मालिक ने कहा, "ये पेंट का पैसा नहीं है, बल्कि ये उस नाव में जो "छेद" था, उसको रिपेयर करने का पैसा है।"
पेंटर ने कहा, "अरे साहब, वो तो एक छोटा सा छेद था, सो मैंने बंद कर दिया था। उस छोटे से छेद के लिए इतना पैसा, मुझे यह ठीक नहीं लग रहा है।"
मालिक ने कहा, "दोस्त! तुम समझे नहीं मेरी बात। अच्छा मैं विस्तार से समझाता हूँ।
जब मैंने तुम्हें पेंट के लिए कहा तो जल्दबाजी में तुम्हें ये बताना भूल गया कि नाव में एक छेद है उसको रिपेयर कर देना
जब पेंट सूख गया, तो मेरे दोनों बच्चे उस नाव को समुद्र में लेकर नौकायन के लिए निकल गए। मैं उस वक़्त घर पर नहीं थालेकिन जब लौट कर आया और अपनी पत्नी से ये सुना कि बच्चे नाव को लेकर नौकायन पर निकल गए हैं। तो मैं बदहवास हो गया।
क्योंकि मुझे याद आया कि नाव में तो छेद है। मैं गिरता पड़ता उस तरफ भागा , जिधर मेरे प्यारे बच्चे गए थे।
लेकिन थोड़ी दूर पर मुझे मेरे बच्चे दिख गए, जो सकुशल वापस आ रहे थे। तब मुझे चैन आया क्योकि उस छेद के कारण वो मौत के मुंह में जा सकते थे ।
फिर मैंने छेद चेक किया, तो पता चला कि, मुझे बिना बताये तुम उसको रिपेयर कर चुके हो।
उस महान कार्य के लिए तो ये पैसे भी बहुत थोड़े हैं। मेरी औकात नहीं कि उस कार्य के बदले तुम्हे ठीक ठाक पैसे दे सकूँ।"
दोस्तों जीवन मे भलाई का कार्य जब मौका लगे हमेशा कर देना चाहिए, भले ही वो बहुत छोटा सा कार्य ही क्यों न हो।
क्योंकि कभी कभी वो छोटा सा कार्य भी किसी के लिए बहुत अमूल्य हो सकता है।और जिन्होने 'हमारी जिन्दगी की नाव' कभी रिपेयर की है उन्हें कभी भी भूलना भी नहीं चाहिये।
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