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bhagya daulat

एक सेठजी थे  जिनके पास अच्छे कर्मो के कारण काफी पैसा था और सेठजी इतने अच्छे थे कि वे अपने धन को समाज के हित में लगाते रहते थे जैसे कि निर्धनों की सहायता करना , अनाथ आश्रम में दान करना और जरुरत मंदों की सेवा करना । वो जितना दान करते है उसका कई गुणा पैसा उन्हें फिर से व्यापार में मिल जाता है । 

उस शहर में परोपकारी व्यक्तियों में उनका सबसे पहले नाम लिया जाता था । सेठ जी के एक लड़की भी थी जिसकी शादी उन्होंने अच्छे घर में की । पर सेठ जी के दामाद की आदते अच्छी नही थी , इसी कारण वो जुए और सट्टे में अपनी सारी दौलत हार गया था । अपनी बेटी और दामाद की ऐसी दुर्दशा देखकर सेठानी सेठ जी से रोज कहती है कि आपके पास तो बहुत सारा धन है । आप क्यों दामाद जी को पैसे नही देते , उनकी हालत खराब चल रही है । 

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सेठ जी ने सेठानी को समझाया कि दामाद और बेटी का  भाग्य और समय खराब चल रहा है , अभी यदि मैं उनकी आर्थिक मदद करूँगा तब भी उन्हें उससे कोई फायदा नही होगा । पर सेठानी को सेठ जी की ये बाते सहायता नही करने का बहाना ही लगती थी । वो हर समय सोचा करती थी कि कैसे अपनी बेटी की मदद करू । 

 एक दिन सेठानी जी को मौका मिल गया क्योकि सेठजी शहर के बाहर गये हुए थे । सेठानी ने अपने दामाद को घर बुलाया और उसके एक पैकेट लड्डूओ का दिया और कहा कि इसे घर ले जाए और खा ले । सेठानी ने उन लड्डूओ में चांदी के सिक्के छिपा दिए थे |   दामाद लड्डू लेकर वहा से चला गया , रास्ते में उसने सोचा कि मुझे मिठाई से ज्यादा पैसो की जरुरत है । क्यों ना इन मिठाइयो को बेच कर इसके बदले में पैसे ले लू | यह सोच कर दामाद ने वो लड्डूओ का पैकेट मिठाई वाली दुकान पर बेच दिया । मिठाई वाले को वैसे ही लड्डू की जरुरत थी ।  उसे इस मिठाई के बदले में 100 रुपए प्राप्त हुए | दामाद ने पैसे जेब में डाले और ख़ुशी ख़ुशी लौट गया । 

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उधर सेठजी बाहर से जब आए तो उन्होंने सोचा घर के लिए मिठाई ले लेता हूँ । संयोग से वो उसी मिठाई की दुकान पर चले गये और लड्डू माँगे। मिठाईवाले ने वही लड्डूओ का पैकेट  सेठजी को वापस बेच दिया, जो उनके दामाद को उसकी सास ने दिया था। सेठ जी घर आ गये और वो पैकेट सेठानी को दे दिया । सेठानी ने जैसे ही लड्डू निकाल कर खाने लगी , उसके मुंह में वो चांदी का सिक्का आ गया । 

सेठ जी यह देखकर बहुत हैरान हो गया , उन्होंने पैकेट के अन्य लड्डूओ को चेक किया तो सभी में एक एक चांदी के सिक्के थे । सेठ ने कहा , हे राम यह उस मिठाई वाले ने मुझे चांदी के सिक्के के लड्डू कैसे दे दिए । मुझे ये सभी सिक्के उस मिठाईवाले को लौटाने चाहिए ।  सेठानी समझ चुकी थी कि ये वे ही लड्डू है जो उसने दामाद जी को दिए थे । अब उससे रहा नही गया और उसने सारी बात सेठ जो को बता दी । 

तब सेठ जो बोले कि देखा भाग्यवान ! मैंने तुम्हे समझाया था कि अभी बेटी और दामाद का भाग्य और समय खराब चल रहा है और इस समय उनकी सहायता करने से भी कोई फायदा नही होगा । अब तुमने दामाद जी को लड्डूओ में चांदी के सिक्के डालकर उन्हें दे दिए । पर वो धन उनके भाग्य में नही था , इसलिए भाग्य के कारण ही उन्होंने वो लड्डू बेच दिए और वो धन फिर से मेरे भाग्य में लिखा था इसलिए ये लड्डू फिर से इस घर में आ गये ।   सेठानी को अब सेठ जी की बात अच्छे से समझ आ गयी । 

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