Vo Manhus Aadmi Hindi Moral Kahani
एक व्यक्ति के बारे में लोगों ने अफवाह उड़ा रखी थी कि वह मनहूस है और अगर कोई उसका मुख सुबह-सुबह देख ले तो उसे खाना नहीं मिलता, लोग उससे दूर-दूर रहते और सुबह के समय तो उसे देखना नहीं चाहते थे।
उस व्यक्ति ने भी इस अपमान को सहन करना सीख लिया था, इसलिए उसकी कोशिस रहती थी कि वो लोगो के सामने कम से कम आये , खास तौर पर सुबह के समय । यही कारण था कि वो सुबह के समय बाहर नही निकलता था । जब पहला पहर बीत जाता तभी बाहर निकल कर अपने कामो में लग जाता ।
उस राज्य के राजा के कानों तक भी यह बात पहुँची कि उसके राज्य मे एक ऐसा व्यक्ति है जिसका सुबह-सुबह मुख देखने से कुछ ना कुछ अपसगुन होता ही रहता है ।
राजा को पहले तो ऐसी बात पर यकीन नही हुआ पर बहुतो से ऐसी बात सुनने के बाद राजा उस आदमी को परखना चाहता था ।
राजा ने अपने सैनिको को भेज कर उस आदमी को महल में बुलाया और उसे एक रात एक कमरे में रुकने का आदेश दिया जिससे वो कितना मनहूस है , इसके पीछे की सच्चाई पता चल सके । उस आदमी का रहने खाने पीने का अच्छे से इंतजाम किया गया । राजा को अब सुबह का इंतजार था जब वो उसका चेहरा देखे और फिर जाने कि वो कितना मनहूस है ।
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सुबह हुई और राजा सीधे उठते ही उस आदमी के कक्ष में गया और उसका चेहरा देख लिया । अब यह संयोग की बात थी की उस दिन राजा को पुरे दिन नाना प्रकार की उलझनें देखनी पड़ी । पुरे दिन ना राजा अच्छे से खा पाया और ना ही आराम कर सका । अब तो लोगो की तरह राजा को भी यकीं हो गया था कि वो आदमी सच्च में मनहूस है ।
राजा ने अपने सलाहकारों से जब उस आदमी के बारे में बात कही तो सभी ने एक स्वर में कहा कि ऐसे मनहूस आदमी को सजाएमौत दी जानी चाहिए क्योकि ऐसा आदमी उनके राज्य में अपनी मनहुशियत फैला रहा है |
राजा भी उनकी बात से सहमत हो गया और अगले दिन उस व्यक्ति को फांसी पर लटकाने का आदेश दे दिया । अगले दिन नियमानुसार उससे उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई तो उसने राजा से दो मिनट के लिए भेंट की इच्छा जताई ।
उसे राजा के पास ले जाया गया तब उस मनहूस आदमी ने कहा- “महाराज! मुझे फांसी की सजा मिल गयी पर मेरी एक दुविधा का आप निवारण कर दे जिससे मैं ख़ुशी ख़ुशी मर सकू । राजा सोच में पड़ गया और उससे पूछा , बताओ क्या है तुम्हारी दुविधा ।
तब उस आदमी ने कहा , महाराज ! कल आपका दिन अच्छा नही गया , आप अच्छे से खा ना सके और ना ही आराम कर सके क्योकि कल आपने सुबह मेरा मुख देखा था । और आपको लगा कि मैं मनहूस हूँ पर हे राजा , मैंने तो आज सुबह आपक मुख देखा है और उसके बदले में मुझे तो मौत की सजा मिल चुकी है ।
आप तो मुझसे भी ज्यादा मनहूस साबित हो गये फिर तो ।
उस व्यक्ति की बात सुनकर राजा की आँखे खुल गयी और राजा अपनी करनी पर बहुत लज्जित हुआ । उसे अपनी भूल का अहसास हो गया था । उसने उस व्यक्ति से क्षमा मांगी और उसे ही सुबह-सुबह उठाने की जिम्मेदारी सौंप दी ताकि उसके ऊपर से लगा मनहूसियत का लांछन मिट जाए ।
धीरे धीरे राजा और प्रजा को पता चल गया कि वो आदमी मनहूस नही बल्कि उनकी तरह ही है । अब सब उसे सम्मान देने लगे ।
कहानी से सीख :
दोस्तों दुसरे पर इल्जाम लगाना बहुत सरल होता है पर इल्जाम लगाने से पहले हमें खुद की कमियों पर भी ध्यान दे देना चाहिए । क्योकि किसी संत ने बहुत खूब कहा है :०
बुरो जो देखण मैं चला , बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल ढूंढा आपना , मुझ सा बुरा न कोय ।।
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