सबसे उत्तम दान हिंदी धार्मिक कहानी || Sabse Uttam Daan Hindi Religious Story
एक गाँव में बहुत पुराना मन्दिर था। उसमे हर तरफ दरारें पड़ी थीं। एक दिन बहुत जोर से वर्षा हुई और तेज तूफान आया । मन्दिर का बहुत-सा भाग लड़खड़ा कर गिर पड़ा। उस दिन एक साधु वर्षा में उस मन्दिर में आकर ठहरे थे। भाग्य से वे जहाँ बैठे थे, उधर का कोना बच गया। साधु को कोई चोट नहीं लगी।
उन्होंने सोचा –मेरे रहते भगवान् का मन्दिर गिरा है तो इसे बनवाकर तब मुझे कहीं जाना चाहिये।’ साधु ने सबेरे पास के बाजार में चंदा करना प्रारम्भ किया।
बाजार वालों में श्रद्धा थी। साधु विद्वान और ज्ञानी थे। उन्होंने घर-घर जाकर चंदा इकट्टा किया। मन्दिर बन गया। भगवान् की मूर्ति स्थापित की गया । भण्डारा हुआ। सबने आनन्द से भगवान् का प्रसाद लिया।
भण्डारे के दिन शाम को सभा हुई। साधु बाबा दाताओं को धन्यवाद देने के लिये खड़े हुए। उनके हाथ में एक कागज था। उसमें लम्बी सूची थी। उन्होंने कहा – सबसे बड़ा दान एक बुढ़िया माई ने दिया है। वे स्वयं आकर दे गयी थीं।’
लोगों ने सोचा कि अवश्य किसी बुढ़िया ने 10 20 लाख रुपये दिये होंगे। कई लोगों ने हजारो रुपये दिये थे। लेकिन सबको बड़ा आश्चर्य हुआ।
जब बाबा ने कहा – इस बुढिया माई ने मुझे मंदिर निर्माण के लिए चार आने पैसे और थोड़ा-सा आटा दिया है।’ लोगों ने समझा कि साधु हँसी मजाक कर रहे हैं। भला यह भी कोई दान होता है .
साधु ने आगे कहा – वह माई लोगों के घर आटा पीसकर अपना काम चलाती हैं। ये पैसे कई महीने में वे एकत्र कर पायी थीं। यही उनकी सारी पूँजी थीं। मैं सर्वस्व दान करने वाली उन श्रद्धालु माता को प्रणाम करता हूँ।
लोगों ने साधू की बात सुनकर अपना मस्तक झुका लिया । सचमुच बुढ़िया का मनसे दिया हुआ यह सर्वस्व दान ही सबसे बड़ा था।
दोस्तों इस दान के बारे में आपको क्या राय है कमेंट में जरुर बताये .
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