कंजूस बनिया और ज्ञानी पंडित हिंदी मजेदार कहानी
एक था बनिया जो बहुत ही कंजूस था। एक दिन नारियल तोड़ने के लिए नारियल के पेड़ पर चढ़ गया चढ़ने को तो चढ़ गया पर निचे देखा तो सिर घूम गया कि कैसे उतर पाउँगा .उसने संकल्प किया कि यदि में सकुशल उतर गया तो सौ ब्राह्मडों को भोजन कराउंगा। थोड़ी और निचे उतर आया तो वह सोचने लगा कि सौ तो बहुत होते है , मै पचास ब्राह्मणों को भोजन करा दूंगा।
पढ़े :- वो मनहूस आदमी हिन्दी शिक्षाप्रद कहानी
और नीचे उतरा तो मन में संख्या और कम करके पच्चीस कर दी। और नीचे उतरा तो सोचा कि पच्चीस भी अधिक है। में पांच ब्राह्मण अवश्य खिला दूंगा। इतने में उसके पांव ज़मीन पर टिक गए। और उसने संकल्प किया कि पांच भूखो को कौन खिलायेगा इससे तो ये अच्छा रहेगा कि एक ही ब्राह्मण को खिला दूँ।
घर आते ही उसने अपनी औरत से कहा कि ब्राह्मणों का नाम लेते –लेते मेरी जान बची है। इसलिए तुम एक ब्राह्मण को भोजन करा देना। उसकी औरत बोली ठीक है। आपके प्राणों से बढ़कर धन थोड़े ही है। अरे एक दिन तराजू की डंडी मार देना ,एक आदमी के खुराक का खर्चा निकल आएगा।
पढ़े :- सच्चा प्यार | प्यार भरी दिल को छु लेने वाली कहानी
Gyani Pandit Aur Kanjus Baniya Hindi Story
खैर एक बूढ़े ब्राह्मड को भोजन का निमत्रण दिया गया ,जिससे कि काम खर्च हो। खीर ,पूड़ी, सब्जी बनी , ब्राह्मड देवता भोजन करने लगे , खाते गए–खाते गए यहां तक कि कंजूस बनिया और उसकी पत्नी के लिए कुछ भी नहीं बचा। भोजन समाप्त हो गया।
ब्राह्मण देवता वही ढेर हो गए। सेठ सेठानी घबरा गये । वे दौड़े –दौड़े ब्राह्मणी के पास गए और उसे सारी बात बताई । ब्राह्मणी जोर जोर से रोने लगी और बोली कि आप लोगो ने भोजन में जहर दे दिया है। लाइए वो भोजन , मैं कुत्ते को डालकर जाँच करूगी । सेठानी ने ब्रहमाणी को बताया कि भोजन बचा ही नही है । तब ब्राह्मणी बोली की में भी अपने पति के लिए यही प्राण दूंगी और आपको दो–दो हत्याओं का पाप लगेगा। वे दोनों वहुत ही घबरा गए और कहने लगे कि देवी ! अब पंडित जी तो स्वर्ग सिधारे वे तो लौटने के नहीं ,आप क्यों प्राण दे रही है।
जो आप मांगे हम देने को तैयार है। इस बात को सुनकर ब्राह्मणी ने दस लाख रूपये की मांग की। कंजूस बनिये ने अपने हृदय पर पत्थर रखकर उसे दस लाख रुपये दे दिए। ब्राह्मणी रूपये और पति का शव लेकर अपने घर चली गई। घर जाते ही ब्राह्मण देवता उठ बैठे। दूसरे दिन बनिया उधर से निकला तो उसी ब्राह्मण को देखा ।सेठ समझ गया था कि कैसे ब्राह्मण ब्राह्मणी ने उसे उल्लू बनाया है । वह अपना ठगा सा मुंह लेकर चला गया .
अन्य शिक्षाप्रद कहानियाँ
पढ़े :- कटहल का पेड़ -अकबर बीरबल की कहानी
पढ़े :- अकबर बीरबल की कहानी - कौवों की गिनती
पढ़े :- सकारात्मक सोच - बहुत ही ज्ञान भरी कहानी
पढ़े :- नाव का छेद करोडो का हिंदी कहानी
एक टिप्पणी भेजें