भगवान की दो पोटलियाँ सफलता और असफलता की ज्ञान भरी कहानी 

एक बार एक इंसान ने व्याकुल होकर भगवान से पूछा की प्रभु उन्नति और अवनति का क्या कारण है। तब भगवान ने उसे दो पोटली दी और बताया कि तुम्हारे इन प्रश्नों का उत्तर यह दो पोटलियाँ ही देगी और समझाया  कि एक पोटली को आगे की तरफ लटकाना और दूसरी को कंधे के पीछे पीठ पर।

पर ध्यान रहे तुम्हे सिर्फ आगे की पोटली को ही देखना है , पीछे की पोटली को नही । आदमी दोनों पोटलियां लेकर चल पड़ा।

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समय बीतता गया। वह आदमी आगे वाली पोटली पर बराबर नजर रखता। आगे वाली पोटली में उसकी कमियां थीं और पीछे वाली पोटली में दुनिया की। 

दो पोटलियाँ धार्मिक कहानी

 

वह रोज अपनी कमियों को देखता और उसमे सुधार लाता , फलस्वरूप वो हर दिन  तरक्की करता गया। पीछे वाली पोटली को इसने नजरंदाज कर रखा था।

एक दिन नदी के किनारे नहाते समय  दोनों पोटलियां अदल बदल हो गई। आगे वाली पीछे और पीछे वाली आगे आ गई। इसी कारण अब उसे सिर्फ दुसरो की कमियाँ नजर आने लगी।

यह गलत है वो गलत है , इसने बुरा किया , उसने गलत कहा । बच्चे ठीक नहीं, पड़ोसी बेकार है, सरकार कोई काम की नही है आदि-आदि। अब उसे पूरी दुनिया में कमी नजर आने लगी ।

परिणाम उसका पतन होने लगा और । वह समझ नही पा रहा था कि उन्नति से वो अवनति पर कैसे आ गया।  

वो फिर से वापस भगवान के पास गया। तब भगवान ने  उसे समझाया कि जब तक तेरी नजर अपनी कमियों पर थी, तू तरक्की कर रहा था। जैसे ही तूने दुसरे लोगो की कमियाँ खोजनी शुरू कि, वहीं से तेरा पतन शुरू हो गया।

 

कहानी से सीख

दोस्तों जब तक हम भी सिर्फ और सिर्फ दुसरो की कमियां खोजते रहेंगे कभी आगे नही बढ़ पाएंगे । भलाई इसी में है कि हम अपनी कमियाँ दूर करे जिससे हम बेहतर बनेंगे , हमें देखकर दुसरे बेहतर बनेंगे ।  हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा। 

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