अमीर कौन ? अमीर की राजुमारी या गरीब की लाडो ??? 

मानवीय मूल्यों से जुडी कहानी 

Hindi Heart Touching Story - Ameer Koun 

दोस्तों आज की कहानी है संस्कार से जुडी हुई, एक तरफ है एक सब्जी वाली और सद्गुणों से भरी उसकी गरीब लाडो और दूसरी तरफ है एक अमीर औरत की राजकुमारी जिसे बोलने की तमीज नही है . यह कहानी सुनकर आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगे की बच्चे के गुण या अवगुण का विकास बड़ो पर निर्भर करता है |

एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रुकी ,कार में ही मोबाइल से बात करते हुए महिला ने अपने बच्चे से कहा जा उस बुढ़िया से पूंछ सब्जी कैसे दी बच्चे कार से उतरते ही।

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अरे बुढ़िया यह सब्जी कैसे दी, 40 रुपया किलो है बेबी जी । उस बच्ची ने 100 रुपये का नोट उस सब्जी वाली को फेंक कर दिया और आकर कार में बैठ गई, कार जाने लगे तभी अचानक किसी ने कार के शीशे पर दस्तक दी ।
एक छोटी सी बच्ची जो हाथ में 60 रुपये लेकर कार में बैठी उस औरत को देते हुए बोलती है ,आंटी जी यह आपके सब्जी के बचे 60 रुपये हैं आपकी बेटी भूल आई है !



कार में बैठी औरत ने कहा तुम रख लो , उस बच्ची ने बड़ी ही मीठी और सभ्यता से कहा, नहीं आंटी जी हमारे जितने पैसे बनते थे हमने ले लिए हम इसे नहीं रख सकते , मैं आपकी आभारी हूं , आप हमारी दुकान पर आए, आशा करती हूं कि सब्जी आपको अच्छी लगे , जिससे आप हमारे ही दुकान पर हमेशा आए , उस लड़की ने हाथ जोड़े और अपनी दुकान लौट गई ।.


कार में बैठी महिला उस लड़की से बहुत प्रभावित हुई और कार से उतर कर फिर सब्जी की दुकान पर जाने लगी ,जैसे वहां पास गई ,सब्जी वाली अपनी बच्ची को पूछते हुए , तुमने तमीज से बात की ना कोई शिकायत का मौका तो नहीं दिया ना ??बच्ची ने कहा, हां मां मुझे आपकी सिखाई हर बात याद है, कभी किसी बड़े का अपमान मत करो उनसे सभ्यता से बात करो, उनकी कदर करो , क्योंकि बड़े बुजुर्ग बड़े ही होते हैं, मुझे आपकी सारी बात याद है और मैं सदैव इन बातों का स्मरण रखूंगी, बच्ची ने फिर कहा अच्छा मां अब मैं स्कूल चलती हूं ,शाम को स्कूल से छुट्टी होते ही दुकान पर आ जाऊंगी।।.
कार वाली महिला शर्म से पानी-पानी थी क्योंकि एक सब्जी वाली अपनी बेटी को इंसानियत और बड़ों से बात करने का पाठ सिखा रही थी और वह अपनी बेटी को छोटा बड़ा ऊंच-नीच का मन में बीज बो रही थी ।

 

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दोस्तों जिसके पास सद्गुण है वही व्यक्तित्व से अमीर है और उसके बहुत चाहने वाले होते है।


सबसे अच्छा तो वह कहलाता है जो आसमान पर भी रहता है और जमीन से भी जुड़ा रहता है !
बस इंसानियत ,भाईचारे सभ्यता आचरण वाणी मै मिठास, सबकी इज्जत करने की सीख दीजिए अपने बच्चों को ,क्योंकि अब बस यही पढ़ाई है जो आने वाले समय में बहुत ही ज्यादा ही मुश्किल होगी ।


जैसे जैसे कलियुग बढेगा , मानवीय मूल्यों में कमी आती रहेगी , लोग ज्यादा नकारात्मकता की तरफ झुकते चले जायेंगे | ऐसे मैं सद्गुणों से युक्त मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने की जरूरत है |


यदि बच्चो में बचपन से ही सद्गुणों का विकास किया जाये तो तमाम उम्र वे उसी राह पर बढ़ते रहेंगे और दुसरो को भी अच्छे गुणों को सिखाते रहेंगे जैसे चन्दन अपनी खुशबु आस पड़ोस में बिखेरता रहता है |

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