ईश्वर की भक्ति और मोह माया हिंदी कहानी

 दोस्तों आज मैं आपके लिए लाया हूँ एक गरीब मोची और धनी सेठ की कहानी जिसमे आप देखेंगे कि कैसे एक गरीब मोची की भक्ति को मोह माया ने बिगाड़ दिया . बहुत ही ज्ञान भरी हिंदी धार्मिक कहानी   

 किसी गाँव में एक अमीर सेठ रहता था। उसके घर के पास ही नीम के पेड़ के निचे एक गरीब मोची की दुकान थी। उस मोची की एक विशेष आदत थी कि वह जब भी जूते सिलने का काम करता तो भगवान के भजन गुनगुनाता रहता था। आने जाने वाले लोग उसके भजनों के कायल थे , लेकिन उस धनी सेठ ने कभी उसके भजनों की तरफ ध्यान नहीं दिया। 

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एक दिन सेठ व्यापार के काम से दुसरे शहर गया पर जब वो लौट के आया तो काफी बीमार हो चूका था ।


Ishwar Moha maya Hindi story


सेठ के पास पैसो की कोई कमी तो थी नही , इसलिए देश विदेश से डॉक्टर, वैद्य, हकीमों को बुलाया गया पर किसी भी ईलाज से सेठ की बीमारी में कोई फायदा नही हुआ । सेठ की तबियत और भी ज्यादा बिगड़ने लगी ।

सेठ अब तो चलने फिरने में भी असमर्थ हो चूका था । एक दिन बिस्तर पर लेटे लेटे उसके कानो में उसी मोची के भजनों की आवाज सुनाई दी । आज पहली बार उसने मोची के भजनों को ध्यान से सुना था और उसे अन्दर से बहुत ही अच्छा लगने लगा । उसके शरीर में जैसे कोई आंतरिक शक्ति आने लगी थी ।

उसे अपार आनंद की प्राप्ति हुई। कुछ दिन तक यही सिलसिला चलता रहा, अब धीरे धीरे सेठ के स्वास्थ्य में सुधार आने लगा। वो तो अपनी बीमारी को भूल कर बाहर आकर उस मोची को देखने लगा । सेठ के घरवाले यह सब देखकर हैरान थे ।

वो सेठ भी खुद को अब स्वस्थ महसूस कर रहा था । वो जान चूका था कि उस गरीब मोची के भजनों से ही उसकी तबियत सुधरी है ।

उसने मोची को धन्यवाद किया और बताया कि कैसे उसके भजनों ने एक बीमार आदमी को स्वस्थ कर दिया है । यही नही सेठ ने उसे 2000 रुपए इनाम के रूप में और दे दिए ।

मोची भी यह ईनाम पाकर बहुत प्रसन्न हुआ , उसने आज तक इतनी बड़ी रकम देखी तक नही थी । पैसे मिलने के बाद उसने अपनी दुकान बंद करी और घर पर खुश होकर निकल गया ।

रात को मोची जब सोने लगा तो उसे पूरी रात नींद नही आई , वो सोच रहा था कि इतने सारे पैसो का वो क्या करेगा ?

कोई चोर इसे चुरा ना ले इसलिए इस चिंता में वो पूरी रात सो भी नही पाया । अगले दिन ना ही वो अपने काम पर गया , ना ही उसने कोई ईश्वर का भजन गाया । 

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कबहुत सारे दिन निकल गये , मोची ना तो वो पैसा खर्च कर पाया और ना ही सुख से अपने पल बिता पाया । सारे दिन इतने सारे पैसो की चिंता में ही उसका समय बीत जाता ।

अब उससे रहा नही गया और उसने अपने मन की आवाज सुनी | वो फिर उसी सेठ के घर गया और सेठ को वे 2000 रुपए लौटाते हुए बोला , " सेठ जी , माफ़ कीजिये ! मैं आपके इस ईनाम को नही रख सकता " ।

मैं तो अपने पहले वाले हाल और काम में ही खुश था , अपना काम करते करते ईश्वर के भजन गाना ही मेरी सच्ची ख़ुशी है । इसलिए इस मोह माया रूपी धन को आप रख लीजिये और किसी जरुरत मंद की सहायता कीजिये ।

सेठ को मोची की बाते बहुत ज्ञान भरी लगी और सेठ ने फिर दिल खोलकर अपने धन को समाज के जरुरतमंदों के लिए लगाना शुरू कर दिया ।

दोस्तों इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि जरुरत पूरी हो धन उतना ही जरुरी है बाकी धन तो दिखावा करने में काम आता है . 

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