Choti Si Seekh - Hindi Moral Story || छोटी सी सीख हिंदी कहानी 


नमस्कार दोस्तों , niks story teller में आपका फिर से स्वागत है | आज मैं आपके लिए लाया हूँ अच्छी सीख कहानी | जिसे सुनकर आप समझेंगे कि दुसरो को दुःख देने में ख़ुशी नही बल्कि दुसरो को सुख देने में ही सच्ची ख़ुशी है | तो चलिए कहानी शुरू करते है |


एक गाँव में एक पिता और पुत्र रहते थे । एक दिन वे दोनों साथ-साथ टहलने निकले, वे गाँव के बाहर खेतों की तरफ जा रहे थे , तभी पुत्र ने देखा कि रास्ते में, किसी के पुराने एक जोड़ी जूते उतरे पड़े हैं, जो कि संभवतः पास के खेत में काम कर रहे किसी गरीब मजदूर के थे।
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उन जूतों को देखकर नटखट पुत्र को मजाक सूझा । उसने पिता से कहा - क्यों न आज इस मजदुर के साथ शरारत की जाये जिससे कि हमें आनंद की प्राप्ति हो । पिता अपने बेटे की ऐसी सोच को लेकर चिंतित हुए पर उन्होंने अपने विवेक और बुद्धि का प्रयोग कर बेटे को अच्छी सीख देने का एक हल निकाला ।



पुत्र ने पिता से कहा क्यों ना हम इन जूतों को कहीं छुपा कर झाड़ियों के पीछे छुप जाएं.जब वो मजदूर इन्हें यहाँ नहीं पायेगा तो बैचेन हो जायेगा । और उसकी हालत देखकर हम बाप बेटे को बहुत मजा आएगा । और इस तरह से जो हमें आनंद मिलेगा वो हमें जीवन भर याद रहेगा पिताजी ।


पिता, पुत्र की बात को सुन गम्भीर होकर बोले नही बेटा ! किसी गरीब लाचार के साथ उसकी जरूरत की वस्तु के साथ इस तरह का भद्दा मजाक कभी न करना चाहिए । जिन चीजों की तुम्हारी नजरों में कोई कीमत नहीं,वो उस गरीब के लिये बेशकीमती हैं । पर हां । पर इन जूतों और उस मजदुर से मैं तुम्हारी शाम बहुत यादगार बनाऊंगा । ऐसा कहकर पिता ने अपनी जेब में से कुछ पैसे निकाले और बेटे के हाथ में देते हुए कहा - जाओ इन पैसो को उन जूतों में रख आओ और फिर हम दोनों छिपकर उस मजूदर को देखते है ।

बेटे ने पिता के बताये अनुसार वैसा ही किया और फिर वे दोनों पास की ऊँची झाड़ियों में छुप गए।

काम पूरा होने पर मजदूर जूतों की जगह पर आ गया. उसने जैसे ही जूतों की तरफ देखा तो उसे उनमे बहुत से रुपए दिखाई दिए । वो यह देखकर हैरान हो गया । उसने इधर उधर देखा पर उसे कोई दिखाई नही दिया । एकाएक उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे और वह दोनों हाथ जोड़कर घुटनों के बल बैठ गया और रोने लगा ।


वह हाथ जोड़ कर बोला हे भगवान् ! तूने मेरी विनती सुन ली । आज आप ही किसी रूप में यहाँ आये थे, समय पर प्राप्त इस सहायता के लिए आपका और आपके माध्यम से जिसने भी ये मदद दी, उसका लाख-लाख धन्यवाद।

आपकी इस सहायता और उदारता से ही आज मेरी बीमार पत्नी को दवा और भूखे बच्चों को रोटी मिल सकेगी । तुम बहुत दयालु हो भगवान ! आपको बारम्बार प्रणाम है ।

मजदूर की बातें सुन बेटे की आँखें भर आयीं।

तब पिता ने पुत्र को सीने से लगाते हुए कहा देखो बेटा क्या तुम्हारी मजाक मजे वाली बात से जो आनन्द तुम्हें जीवन भर याद रहता उसकी तुलना में इस गरीब के आँसू और दिए हुये आशीर्वाद तुम्हें जीवन पर्यंत जो आनन्द देंगे वो उससे कम है, क्या ?

बेटे ने कहा पिताजी .. आज आपसे मुझे जो सीखने को मिला है, उसके आनंद को मैं अपने अंदर तक अनुभव कर रहा हूँ. अंदर में एक अजीब सा सुकून है।

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आज के प्राप्त सुख और आनन्द को मैं जीवन भर नहीं भूलूँगा. आज मैं उन शब्दों का मतलब समझ गया जिन्हें मैं पहले कभी नहीं समझ पाया था.आज तक मैं मजा और मस्ती-मजाक को ही वास्तविक आनन्द समझता था, पर आज मैं समझ गया हूँ कि लेने की अपेक्षा देना कहीं अधिक आनंददायी है।

दोस्तों इस कहानी से यही शिक्षा प्राप्त होती है कि जीवन में हमें कभी भी किसी का मजाक नही उड़ाना चाहिए बल्कि उसकी उसकी सहायता कर उसकी दुआ लेनी चाहिए । हमें अपने छोटो को भी यही शिक्षा देनी चाहिए क्योकि दुसरो की सहायता करने से जो सुख की प्राप्ति होती है उसकी अनुभूति बहुत ही यादगार होती है ।

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