यमराज और भला मानुस - सत्संग का फल हिंदी कहानी
एक आदमी सुबह सवेरे उठा फिर साफ़ कपड़े पहने और सत्संग के लिए चल दिया ताकि सतसंग का आनंद प्राप्त कर सके।
चलते चलते रास्ते में ठोकर खाकर गिर पड़ा जिसके कारण कपड़े कीचड़ में सन गए । वो फिर कपड़े बदलने घर आ गया ।
कपड़े बदलकर फिर से सत्संग की तरफ रवाना हुआ लेकिन फिर ठीक उसी जगह ठोकर खा कर गिर पड़ा लेकिन फिर भी उसने हार नही मानी और फिर से घर आकर कपड़े बदले और सत्संग के लिए रवाना हो गया ।
जब तीसरी बार उस जगह पर पहुंचा तो क्या देखता है की एक व्यक्ति चिराग हाथ में लिए खड़ा है और उसे अपने पीछे पीछे चलने को कह रहा है जिससे की वो गिरे नही और रोशनी में सत्संग भवन पहुच जाये .
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इस तरह वो शख्स उसे सत्संग भवन के दरवाज़े तक ले आया।
पहले वाले शख्स ने दुसरे शक्श से पूछा आप भी अंदर आकर सतसंग सुन लें।
लेकिन वो शख्स चिराग हाथ में थामे खड़ा रहा और सत्संग घर में दाखिल नही हुआ।
दो तीन बार इनकार करने पर उसने पूछा आप अंदर क्यों नही आ रहे है …?
दूसरे वाले शख्स ने जवाब दिया “इसलिए क्योंकि मैं यमराज हूँ,
ये सुनकर पहले वाले शख्स की हैरत का ठिकाना न रहा।
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यमराज ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा मैं ही था जिसने आपको कीचड़ पर गिराया था।
जब आपने घर जाकर कपड़े बदले और दुबारा सत्संग घर की तरफ रवाना हुए तो भगवान ने आपके सारे पाप क्षमा कर दिए।
जब मैंने आपको दूसरी बार गिराया और आपने घर जाकर फिर कपड़े बदले और फिर दुबारा जाने लगे तो भगवान ने आपके पूरे परिवार के गुनाह क्षमा कर दिए।
मैं डर गया की अगर अबकी बार मैंने आपको गिराया और आप फिर कपड़े बदलकर चले गए तो कहीं ऐसा न हो वह आपके सारे गांव के लोगो के पाप क्षमा कर दे। इसलिए मैं यहाँ तक आपको खुद चिराज की रोशनी के साथ पहुंचाने आया हूँ।
दोस्तों इस कहानी से सीख मिलती है कि भक्ति के मार्ग में यदि कोई विपदा आती भी है तो आपको प्रभु पर विश्वास रखना चाहिए और भक्ति के पथ पर चलते रहना चाहिए . प्रभु सभी विपदाए हटा देंगे और पुन्य देंगे .
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